Friday, January 18, 2008

परिभाषा
मुम्बई मैं रात पद चुकी थी, और शेहेर मैं एक अजब सा अंधेरा था । बाकी की दुनिया वैसी की वैसी चल रही थी, लेकिन मशहूर इन्दुस्त्रिअलिस्ट इंद्रनाथ सेघल के घर पे कुछ भी थिक नहीं था । तारा ने, देलिज़ से, एक बार फिर मूड के देखा । उन्ही का परिवार था, लेकिन कैसी, एक ही दिन मैं सब पराये लगने लगे।
"तारा, मेरी बच्ची, मत जाओ। कम से कम, ध्रुव का इंतजार करो। हमे कुछ वक़्त तो दो सब कुछ समझने के लिए। तुम ऐसे चली जाओगी, ... खामखा तुम्हारे मायके मैं मुसीबत कड़ी हो जायेगी। तारा, मेरी बात सुनो ..." अनसूया ने टुटा आवाज़ मैं कहा।
"नहीं, माजी, मैं आब एक और पल भी यहाँ नहीं रहे सकती। जिस घर मेरा है ही नहीं, इसमे मैं किस हक से राहू? मैं अभी भी ध्रुव से बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन एक शादी को कायम रखने के लिए प्यार से बढकर भी और चीजों की ज़रूरत होती है। विश्वास, समन, इज्ज़त, सब कुछ एक पल मैं ध्रुव ने मिटा दिया। फिर, मैं करू भी तो क्या करू?"
"थिक ही तो कहे रही है," इंद्रनाथ ज़ोर से बोले, "जब हमारे बेटा ही निकामा निकला, तो हम तारा को किस हक से कुछ भी कहे? ध्रुव ने जो किया है ..."
"और तुम, इन्द्र?" उनकी माँ, अहल्या बोली, "तुम की हक से यह सब कुछ कहे रहे हो? हम सब मैं सब, सबसे कम हक तुम्हारा है आज बोलने का। आख़िर, ध्रुव तुम्हारा ही बेटा है।"
"बस, बस भी कीजिए, आपस मैं लड़ने से कुछ नहीं होगा। कोई राहुल को एक बार फिर फ़ोन लगाओ, ध्रुव अभी मिल या नहीं। तारा, मुझ पर यह आखरी महेरबानी कर दो, ध्रुव से मिले बगैर मत जाओ। अगर ..."
"तुम बस भी करो, अनसूया। ध्रुव आएगा भी तो क्या बात करनी है। रेंज हाथ तारा ने उसे पकडा है। वो कहेगा भी कुछ तो क्या कहेगा?"
"शायद, शायद ..."
"शायद कुछ नहीं, अनसूया। और देखो, तुम शांत हो जयो। डाक्टर ने कहा है तुम्हारा लिए ज्यादा दबाव थिक नहीं है। तुम ऊपर जयो।"
"लेकिन ..."
"अनसूया, मैंने कहा ना, बस। "
"जी" अनसूया ने कहा। एक बार फिर तारा को देख कर, वो ऊपर अपने कमरे मैं चल गयी
आचार्य परिवार
इंद्रनाथ - आचार्य खानदान का प्रधान
अनसूया - इंद्रनाथ कि बीवी
राहुल - इंद्रनाथ और अनसूया का बड़ा बेटा
नेहा - राहुल की पत्नी
ध्रुव - इंद्रनाथ और अनसूया का छोटा बेटा
अहल्या - इंद्रनाथ की माँ

सेघल परिवार
समीर - सहगल परिवार का प्रधान, मारा हुआ
पद्मावती - समीर की पत्नी
निहिरा - समीर और पद्मा की सबसे बड़ी बेटी, एक गुणवान डाक्टर
संजय - निहिरा के पति
नीले - समीर और पद्मा का एक एकाएक बेटा, गोद लिया गया
वैदेही - नीले की पत्नी, और निहिरा की खास सहेली
तारा - समीर और पद्मा की मजली बेटी
सरगम - समीर और पद्मा की सबसी छोटी बेटी
गायत्री - समीर की माँ, जो परिवार के साथ मुम्बई मैं रहती हैं
निरुपमा मेहरा - पद्मा कि माँ, कलकत्ता कि रहनीवाली

प्रयाग - समीर का बचपन का दोस्त, एक बहुत काबिल वकील
न्रिदय - प्रयाग का बेटा, जो निहिरा और वैदेही के साथ कम करता हैं